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Sun Salutation (सूर्य नमस्कार) Steps and Benefits in Hindi

सूर्य नमस्कार सभी योग आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अगर आप सुबह उठकर नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करते हैं तो आपको सभी योग व्यायाम का लाभ इस सूर्य नमस्कार को करने से मिल सकता है। सूर्य नमस्कार के सभी आसन आपके शरीर को निरोग और स्वस्थ बनाए रखने में आपकी मदद करते हैं। सूर्य नमस्कार स्त्री, पुरुष, बच्चे, जवान तथा बूढ़े सभी के लिए लाभदायक बताया गया है।

सूर्य नमस्कार कब करना चाहिए?

सूर्य नमस्कार करने के लिए सुबहसुबह सूर्योदय का समय सबसे अच्छा माना जाता है। सूर्य नमस्कार हमेशा खुली और हवादार जगह पर कोई भी आसन बिछाकर जैसे कंबल तथा योगा मैट और खाली पेट में अभ्यास करना चाहिए। इससे हमारा मन शांत और प्रसन्न होता है तभी हमें योग का पूरा लाभ मिलता है।

सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए? 

सूर्य नमस्कार को रोजाना करने से आपके शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति में वृद्धि होती है। इसके साथसाथ विचार करने की शक्ति और याद करने की शक्ति को भी तेज करता है। 

इसके अन्य कई लाभ है, जैसे 

 सूर्य नमस्कार करने से हमें विटामिनडी मिलता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। 

✓ सूर्य नमस्कार करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

✓ सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर में ब्लड सरकुलेशन तेज होता है जिससे शरीर के सभी अंग शक्तिशाली और क्रियाशील रहते हैं। 

 सूर्य नमस्कार हमारे शरीर की चर्बी को कम करता है जिससे हमारे वजन को कम करने में यह बहुत ही मददगार होता है। 

 सूर्य नमस्कार बालों को सफेद होने झड़ने से बचाता है। 

 सूर्य नमस्कार करने से आपकी कमर लचीली होती है और रीड की हड्डी भी मजबूत होती है। 

 सूर्य नमस्कार से त्वचा रोग जैसी बीमारी की संभावना समाप्त हो जाती है। 

 सूर्य नमस्कार हृदय फेफड़ों की कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है। 

 सूर्य नमस्कार पाचन संबंधी समस्याओं जैसेकब्ज, बदहजमी, गैस तथा भूख लगने जैसी समस्याओं के समाधान में बहुत ही लाभदायक है। 

 सूर्य नमस्कार मानसिक तनाव, अवसाद, एंग्जाइटी आदि के निदान के साथ क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा भय का भी निवारण करता है।

सूर्य नमस्कार के कौनकौन से आसन हैं? – 

1. प्रणामासन
(Pranamasana)

2. हस्त उत्तानासन (Hasta
Uttanasana)

3. हस्त पादासन (Hasta
padasana)

4. अश्व संचालनासन (Ashwa
Sanchalanasana)

5. चतुरंग दंडासन
(Chaturanga Dandasana)

6. अष्टांग नमस्कार
(Ashtanga Namaskara)

7. भुजंगासन
(Bhujangasana)

8. पर्वतासन
(Parvatasana)

9. अश्व संचालनासन (Ashwa
Sanchalanasana)

10. हस्त पादासन (Hasta
padasana)

11. हस्त उत्तानासन (Hasta
Uttanasana)

12. प्रणामासन
(Pranamasana)

सूर्य नमस्कार को कैसे करना चाहिए? –

किसी भी तरह की एक्सरसाइज और योग की जरूरत नहीं पड़ेगी अगर आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार के यह 12 स्टेप्स रोजाना करते हैं तो

1. प्रणामासन (Prayer
pose) –
 खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं। सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।

2. हस्त उत्तानासन (Raised
arms pose)
  पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।

3. हस्त पादासन
(Standing forward bend) –
 सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्त उत्तानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरेधीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए हों। 

4. अश्व संचालनासन
(Equestrian pose)
  हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।

5. चतुरंग दंडासन (Stick
pose)
  गहरी सांस लेते हुए दांये पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें। 

6. अष्टांग नमस्कार (Salute
with eight parts or points) –
 अब धीरेधीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।

7. भुजंगासन (Cobra
pose) –
 कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। 

8. पर्वतासन
(Mountain pose) –
 भुजंगासन से सीधे इस अवस्था में आएं। पर्वतासन के चरण में कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पैरों की एड़ी जमीन पर टिका कर रखें। शरीर को अपने V के आकार में बनाएं।

9. अश्व संचालनासन
(Equestrian pose)
  अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें।

10. हस्त पादासन
(Standing forward bend)
  अश्व संचालनासन मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद अब हस्त पादासन की मुद्रा में आएं। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरेधीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए हों।

11. हस्त उत्तानासन (Raised
Arms Pose) –
 हस्त पादासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद हस्त उत्तानासन की मुद्रा में वापस जाएं। इसके लिए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।

12. प्रणामासन (Prayer
pose) –
 हस्त उत्तानासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद सूर्य की तरफ चेहरा कर एक बार फिर से प्रणामासन की मुद्रा में जाएं।

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