क्या आपको पता है कि हमारे देश का राष्ट्रीय गान (जन–गण–मन) को इन्होंने ही लिखा था।
रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर एक विश्व विख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वह भारतीय इतिहास में एकमात्र साहित्यकार थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था। इन्होंने ही बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान को भी लिखा था। वह बचपन से ही प्रतिभाशाली थे, जिसका पता उस समय लग गया जब 8 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। साथ ही साथ 16 साल की उम्र में ‘भानुसिम्हा‘ उपनाम से उनकी कविताएं प्रकाशित भी हो गई थी। उनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। रविंद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ उन्हें पढ़ाया करते थे। इस अध्ययन में तैराकी, कसरत, जूडो और कुश्ती भी शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने ड्रॉइंग, शरीर रचना, इतिहास, भूगोल, साहित्य, गणित, संस्कृत और अंग्रेजी भी सीखा। रविंद्रनाथ अपने पिता के साथ कई महीनों के भारत भ्रमण पर निकल गए थे और उस दौरान डलहौजी में उन्होंने इतिहास, खगोल विज्ञान, आधुनिक विज्ञान, संस्कृत और जीवनी का अध्ययन किया और कालिदास के कविताओं की विवेचना की।
इसके पश्चात उन्होंने सन 1877 तक अपनी कुछ महत्वपूर्ण रचनाएं कर डाली थी। उनके पिता देवेंद्रनाथ उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने रविंद्रनाथ को वर्ष 1878 में इंग्लैंड भेज दिया था। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में लॉ की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया पर कुछ समय बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और शेक्सपियर और कुछ दूसरे साहित्यकारों की रचनाओं का स्व–अध्ययन किया। सन 1880 में बिना लॉ की डिग्री के वह बंगाल वापस लौट आए। वर्ष 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ। उन्होंने ग्रामीण और गरीब लोगों के जीवन को बहुत करीबी से देखा। वर्ष 1891 से लेकर 1895 तक उन्होंने ग्रामीण बंगाल पर आधारित कई लघु कथाएं लिखी थी। वर्ष 1901 में रविंद्रनाथ ने शांतिनिकेतन में एक स्कूल, पुस्तकालय और पूजा स्थल का निर्माण किया था। 14 नवंबर 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। अंग्रेज सरकार ने उन्हें वर्ष 1915 में नाइटहुड प्रदान किया जिसे रविंद्रनाथ ने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद छोड़ दिया था।
अपने जीवन के अंतिम दशक में टैगोर सामाजिक तौर पर बहुत सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने लगभग 15 गद्य और पद्य कोश लिखे थे। उन्होंने इस दौरान लिखे गए साहित्य के माध्यम से मानव जीवन के कई पहलुओं को छुआ। इस दौरान उन्होंने विज्ञान से संबंधित लेख भी लिखे। सन 1878 से लेकर सन 1932 तक उन्होंने 30 देशों की यात्रा की। उनकी अंतिम विदेश यात्रा सन 1932 में सीलोन (श्रीलंका) की थी। एक महान कवि और साहित्यकार के साथ–साथ गुरु रविंद्रनाथ टैगोर एक संगीतकार और पेंटर भी थे। उन्होंने लगभग 2230 गीत लिखे, और लगभग 60
साल की उम्र में रविंद्रनाथ टैगोर ने ड्राइंग और चित्रकला में रुचि दिखाना प्रारंभ किया। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में उन्होंने कई गीत लिखे थे। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 4 साल पीड़ा और बीमारी में बताएं। लंबी बीमारी के बाद 7 अगस्त 1941 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। भले ही आज रविंद्रनाथ टैगोर हमारे बीच नहीं है परंतु उनकी रचनाएं हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेंगी।