आइए जानते हैं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू के बारे में–
मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को दिल्ली में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर और माता का नाम जीवरानी था। मोतीलाल नेहरू के पिता की मृत्यु मोतीलाल के जन्म से पूर्व ही हो गई थी। मोतीलाल नेहरू का पालन पोषण उनके बड़े भाई नंदलाल ने किया था। मोतीलाल नेहरू “पश्चिमी शैली“ की कॉलेज शिक्षा प्राप्त करने वाली भारत की प्रथम युवा पीढ़ी में से एक थे। मोतीलाल नेहरू ने कानून की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था और 1883 में कानपुर में एक वकील के रूप में अपना करियर प्रारंभ कर दिया था। बाद में मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में बस गए और देश के सर्वश्रेष्ठ वकीलों के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह हर महीने लाखों कमाते थे और बड़े ठाट बाट से रहते थे। वह यूरोप जाते रहते थे और उन्होंने पश्चिमी जीवनशैली को अपना लिया था।
1909 में ग्रेट ब्रिटेन के प्रिवी काउंसलिंग में वकील बनने का अनुमोदन प्राप्त कर वह अपने कानूनी पेशे के शिखर पर पहुंच गए थे। 1910 में मोतीलाल नेहरू ने संयुक्त प्रांत की विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार ने ब्रिटिश शासन के प्रति उनके विश्वास को तोड़ दिया और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश करने का फैसला किया। असहयोग आंदोलन में गांधीजी का अनुसरण करने के लिए उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी। उन्होंने विलासितापूर्ण अपनी जीवनशैली, वेस्टर्न कपड़े और दूसरी वस्तुओं का त्याग कर दिया और खादी पहनना शुरू कर दिया।
मोतीलाल नेहरू 1919 और 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने देशबंधु चितरंजन दास के साथ मिलकर स्वराज पार्टी की स्थापना की। मोतीलाल नेहरु स्वराज पार्टी के पहले सचिव और बाद में अध्यक्ष बने। 1927 में जब साइमन कमीशन की नियुक्ति हुई तब मोतीलाल नेहरू को स्वतंत्र भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए कहा गया था। उनके द्वारा तैयार किए गए संविधान में भारत के लिए अधिराज्य का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव रखा।मोतीलाल नेहरू को नागरिक अवज्ञा आंदोलन के मद्देनजर अंग्रेजो के द्वारा 1930 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी बिगड़ती सेहत को देखते हुए 1931 में उन्हें रिहा कर दिया गया था और 6 फरवरी 1931 को लखनऊ में मोतीलाल नेहरू का निधन हो गया।