Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi
भारत के पहले प्रधानमंत्री एवं आधुनिक भारत के निर्माता "जवाहरलाल नेहरू" आजादी के लिए लड़ने वाले और संघर्ष करने वाले मुख्य महापुरुषों में से एक थे। नेहरू जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया था। उनके अंदर देश के लिए प्रेम की ललक साफ दिखाई देती थी। नेहरू जी को 'गुलाब का फूल' बहुत पसंद था जिसे वो अपनी शेरवानी में लगाकर रखते थे। इन्हें बच्चों से भी बहुत लगाव था जिसके कारण बच्चे इन्हें "चाचा नेहरू" कहकर संबोधित करते थे। इसी प्रेम के कारण इनके जन्मदिवस को "बाल दिवस" के रूप में "14 नवंबर" को मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" के रचयिता के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। गांधीजी के सहायक के तौर पर जवाहरलाल नेहरू भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ते रहे और आजादी के बाद भी वर्ष 1964 में, अपनी मृत्यु तक देश की सेवा की।
प्रारंभिक जीवन -
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम "मोतीलाल नेहरू" और माता का नाम "स्वरूपरानी थुस्सू" था। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज लंदन से पूरी की। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की। नेहरू जी ने इंग्लैंड में 7 साल व्यतीत किए जिसमें वहां के आयरिश राष्ट्रवाद और फैबियन समाजवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया।
राजनीतिक जीवन -
वर्ष 1912 में, जवाहर लाल नेहरू ने भारत लौटकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैरिस्टर के रूप में कार्य करना आरंभ किया। वर्ष 1916 में, उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। वर्ष 1917 में, नेहरू जी होम-रूल-लीग से जुड़ गए। वर्ष 1919 में, गांधी जी के संपर्क में आने के बाद उनके विचारों ने नेहरू जी को बहुत प्रभावित किया। इन्हें राजनीतिक ज्ञान गांधी जी के नेतृत्व में ही प्राप्त हुआ। यही वो समय था जब जवाहरलाल नेहरू ने भारत की राजनीति में पहली बार कदम रखा था। उस समय गांधी जी ने रॉलेट-अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। गांधी जी के "सविनय-अवज्ञा आंदोलन" से नेहरू जी बहुत आकर्षित हुए। नेहरू जी ने गांधी जी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया। जवाहरलाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपड़ों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया। वे एक खादी कुर्ता और गांधी टोपी पहनने लगे। वर्ष
1920-1922 में, गांधी जी के द्वारा किया गया "असहयोग आंदोलन" में जवाहरलाल नेहरू ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इस दौरान नेहरू जी को पहली बार जेल जाना पड़ा। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। वर्ष 1924 में जवाहरलाल नेहरू, इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने मुख्य अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक शहर की सेवा की।
वर्ष 1926 में, नेहरू जी ने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का प्रमाण देकर इस्तीफा दे दिया। वर्ष
1926-1928 तक, नेहरू जी ने "अखिल-भारतीय-कांग्रेस" समिति के महासचिव के रूप में सेवा की। वर्ष
1928-1929 में, कांग्रेस के वार्षिक-सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया। इस सत्र में दो दल बने, पहले दल में नेहरू जी और सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया और दूसरे दल में मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के अधीन ही शासन संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग का समर्थन किया। इन दोनों प्रस्ताव की लड़ाई में गांधी जी ने बीच का रास्ता निकाला और कहा ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए 2 वर्षों का समय दिया जाएगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए कांग्रेस एक राष्ट्रीय संघर्ष शुरू करेगी। गांधीजी की इस बात पर ब्रिटिश सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया।
वर्ष 1929 में, कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन "लाहौर" में आयोजित किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। इस अधिवेशन के दौरान सभी ने एकजुट होकर "पूर्ण स्वराज" की मांग का प्रस्ताव रखा। 26 जनवरी 1930 को जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा लहराया। वर्ष 1930 में, गांधीजी ने "सविनय-अवज्ञा आंदोलन" की शुरुआत की। यह आंदोलन इतना सफल रहा कि ब्रिटिश सरकार को प्रमुख राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता को स्वीकार करने के लिए झुकना ही पड़ा।
वर्ष 1935 में, जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम का प्रस्ताव स्वीकार किया, तब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। नेहरू जी ने चुनाव से बाहर रहकर ही पार्टी का समर्थन किया। कांग्रेस ने लगभग हर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई और केंद्रीय असेंबली में सबसे अधिक सीटों पर जीत हासिल की। वर्ष
1936-1937 में, नेहरू जी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1942 में, गांधी जी के नेतृत्व में "भारत छोड़ो आंदोलन" के दौरान ही नेहरू जी को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद वह वर्ष 1945 में जेल से बाहर आए। वर्ष 1947 में, भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय नेहरू जी ने ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री का चुनाव -
वर्ष 1947 में, भारत की आजादी के समय कांग्रेस में प्रधानमंत्री की मांग के लिए चुनाव किए गए। इस चुनाव में आचार्य कृपलानी और सरदार वल्लभ भाई पटेल को सबसे अधिक वोट प्राप्त हुए, परंतु गांधीजी के कहने पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। वर्ष 1947 में, वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के बाद भारत को सही तरीके से निर्मित कर एक मजबूत राष्ट्र की नींव के निर्माण का कार्य इन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया। भारत को आर्थिक दृष्टि से निर्भीक बनाने के लिए नेहरू जी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने संगठन एवं शांति के लिए "गुट निरपेक्ष आंदोलन" की रचना की। नेहरू जी की कठोर मेहनत के बावजूद वे पाकिस्तान और चीन के बीच अच्छे संबंध नहीं बना पाए।
जवाहरलाल नेहरु को मिला सम्मान -
वर्ष 1955 में, जवाहरलाल नेहरू जी को देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत-रत्न" से नवाज़ा गया।
जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु -
नेहरू जी अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध सुधारने में हमेशा प्रयासरत रहे। उनकी यह सोच थी कि हमें अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना चाहिए, लेकिन वर्ष 1962 में, भारत पर चीन ने हमला कर दिया जिससे नेहरू जी को बहुत आघात पहुंचा। "27 मई 1964" को दिल का दौरा पड़ने से नेहरू जी का निधन हो गया। उनकी मृत्यु भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी। देश के स्वतंत्रता संग्राम और महान नेता के रूप में आज भी उन्हें याद किया जाता है।
नेहरू जी की याद में बहुत सी योजनाएं बनाई गई। जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू स्कूल, जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल आदि की शुरुआत नेहरू जी के सम्मान में की गई।