Biography of George Fernandes in Hindi
आइए जानते हैं भारत के राजनेता, पत्रकार और पूर्व रक्षामंत्री रह चुके "जॉर्ज फर्नांडिस" के बारे में जिन्होंने अपना जीवन मजदूरों के अधिकारों के संघर्ष में लगा दिया।
जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म 3 जून 1930 को मैंगलोर के मैंगलोरिन-कैथोलिक परिवार में हुआ था। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मैंगलोर के स्कूल से पूरी की। इसके बाद मैंगलोर के St Aloysius College से अपनी बारहवीं कक्षा पूरी की। घर की परंपरा के अनुसार जॉर्ज फर्नांडिस को 16
वर्ष की आयु में बैंगलोर के सेंट पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया। 19 वर्ष की आयु में उन्होंने धार्मिक विद्यालय छोड़ दिया और मैंगलोर के रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा होटल एवं रेस्टोरेंट काम करने लगे। वर्ष 1949 में जॉर्ज फर्नांडिस नौकरी की तलाश में मैंगलोर छोड़कर मुंबई आ गए। मुंबई में जॉर्ज फर्नांडिस का जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा रहा। एक समाचार पत्र में प्रूफ रीडर की नौकरी मिलने से पहले वे फुटपाथ पर रहा करते थे और रात में उन्हें जमीन पर ही सोना पड़ता था। वर्ष 1950 में वे राम मनोहर लोहिया के संपर्क में आए और उनके जीवन से काफी प्रभावित हुए।
उसके बाद जॉर्ज फर्नांडिस "सोशलिस्ट ट्रेड यूनियन" के आंदोलन में शामिल हो गए। इस आंदोलन में उन्होंने कम पैसे में कंपनियों तथा होटलों में काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों के लिए आवाज़ उठाई। इसके बाद वे वर्ष 1950 में श्रमिकों की आवाज बन गए। वर्ष 1961 से 1968 तक जॉर्ज फर्नांडिस मुंबई सिविक का चुनाव जीतकर मुंबई महानगरपालिका के सदस्य बने। इस तरह के लगातार आंदोलनों के कारण वे राजनेताओं की नजर में आ गए। वर्ष 1967 के आम चुनाव में जॉर्ज फर्नांडिस ने मैदान में उतरने का निर्णय लिया। लोकसभा चुनाव में उन्हें "संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी" की ओर से मुंबई दक्षिण की सीट का टिकट दिया गया जिसमें वे 48.5 फ़ीसदी वोटों से जीते। जॉर्ज फर्नांडिस ने मुंबई में वर्ष 1967 का चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ी। वर्ष 1973 में जॉर्ज फर्नांडिस "संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी" के चेयरमैन बने। वर्ष 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस ने "ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन" का अध्यक्ष बनने के बाद भारत में रेलवे के लाखों कामगारों के साथ हड़ताल कर दी। इस कारण हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया। वर्ष 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस ने "समता पार्टी" की स्थापना की।
प्रधानमंत्री "अटल बिहारी वाजपेयी" के मंत्रिमंडल में वह एकमात्र ईसाई थे। मार्च 2001 में रक्षा घोटाला सामने आने के बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि 8 माह से भी कम समय में गलती स्पष्ट न होने पर जॉर्ज फर्नांडिस को उसी पद पर पुनः नियुक्त कर दिया गया। जॉर्ज फर्नांडिस का राजनीति में अहम योगदान रहा और संसद सदस्यों द्वारा उन्हें हमेशा स्नेह और सम्मान मिलता रहा। उनके प्रमुख योगदान में राज्यसभा में किए गए कार्य और भारत के समाजवादी आंदोलन में दी गई सेवाएं हैं। जॉर्ज फर्नांडिस ने कई किताबें लिखकर लोगों तक अपने विचार भी पहुंचाए। जॉर्ज फर्नांडिस ने भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री, संचार मंत्री, उद्योग मंत्री, रेल मंत्री आदि के रूप में कार्य किया। लंबे समय तक बीमार रहने के कारण 29
जनवरी 2019 में जॉर्ज फर्नांडिस का निधन हो गया।